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हम खुश रह सकते है?

भाव
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खुशी का तात्पर्य केवल अपने व्यक्तिगत खुशी ही नहीं है. यदि हम खुश है तथा हमारा अपना बेटा-बेटी या परिवार का कोई सदस्य बीमार है, तो कोई कैसे खुश रह सकता है? खुशी तभी है जब स्वयं एवं अपने इर्द गिर्द का समूचा वातावरण खुश हो. जैसे हमारा कोई पालतू पशु भी बीमार पड़ जाता है तो हम दुखी हो जाते है. इसलिए समग्र खुशी के लिए आवश्यक है क़ि हमारा चतुर्दिक वातावरण खुशनुमा हो. तो यदि हम अपने एक परिवार की थोड़ी खुशी पर इतने खुश हो जाते है तो परिवार, पड़ोस, गाँव, राज्य एवं देश के साथ यदि समस्त जीव समुदाय खुश हो तो वह खुशी कितनी असीमित होगी, इसका अनुमान लगाना बहुत कठिन है.

यहाँ यह कहना आवश्यक है क़ि कुछ लोग दूसरे को दुखी देख कर खुश होते है. तो कोई बात नहीं, आप यदि खुश है, तो उस दुखी व्यक्ति की खुशी के लिए ही दुखी दिखाई दीजिये. ताकि उसे खुशी की अनुभूति हो सके. इया प्रकार आप दुखी तो होगे नहीं. क्योकि वास्तव में तो आप सुखी है ही. इस प्रकार आप भी खुश, दूसरा भी खुश.
बस खुश रहिये.
भाव नाथ

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